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nai shiksha niti 2023- नई शिक्षा निति २०२३ यहाँ से देखें

nai shiksha niti kya hai: नई शिक्षा निति क्या है

nai shiksha niti Education in 2023: नए साल में बदलेगी उच्च शिक्षा की तस्वीर, नए शैक्षणिक सत्र में एंट्री-एग्जिट की सुविधा भी Higher Education in 2023: नए साल में भारतीय शिक्षा जगत में कई बड़े बदलाव धरातल पर दिखेंगे। उम्मीद की जा रही है कि नई शिक्षा नीति में दर्शाए गए मार्ग का अनुसरण करते हुए उच्च शिक्षा व्यवस्था बड़े बदलाव की गवाह बनेगी। आगामी शैक्षणिक सत्र 2023 से स्नातक प्रोग्राम की पढ़ाई का फ्रेमवर्क पूरी तरह से बदलने जा रहा है। देश के सभी विश्वविद्यालयों में चार वर्षीय यूजी प्रोग्राम शुरू हो रहा है। यूजीसी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के तहत स्नातक प्रोग्राम के लिए विषय, पाठ्यक्रम से लेकर क्रेडिट तक का खाका तैयार किया है। इसे करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम का नाम दिया गया है।

Table of Contents

 छात्रों को कोर एरिया की डिग्री के साथ अपने मनपसंद विषयों को चुनने की आजादी, बीच में पढ़ाई छोड़ने से लेकर विश्वविद्यालय तक को अपनी सहूलियत के हिसाब से बदलने (पोर्टेबल फेसिलिटी) का मौका मिलेगा। दिलचस्प यह है कि छात्र जहां पर बीच में पढ़ाई छोड़ेगा, वहीं से उसे सात साल के भीतर जारी करने का  विकल्प भी मिलेगा। स्कूली शिक्षा के बाद अब उच्च शिक्षा भी लर्निंग आउटकम पर आधारित होगी। हर साल ज्ञान, कौशल और सक्षमता पर आधारित परीक्षा मूल्यांकन होगा। खास बात यह है कि प्रति सेमेस्टर कम से कम 20 क्रेडिट लेने अनिवार्य होंगे।  

nai shiksha niti करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर यूजी प्रोग्राम होगा लाॅन्च

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) सोमवार को करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम लाॅन्च करने जा रहा है। इसी के साथ विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों व राज्यों से भी साझा किया जाएगा। इसमें रोजगार से जोड़ने के लिए वोकेशनल और इंटर्नशिप को अनिवार्य किया गया है।

nai shiksha niti वर्तमान च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम में किया बदलाव

देशभर के विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर और च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू है। नए फ्रेमवर्क में सेमेस्टर में तो कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन सीबीसीएस को इनोवेशन और लचीलेपन के साथ संशोधित किया गया है। एक सेमेस्टर 90 दिन का होगा। नए नियमों के तहत तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में कम से कम 120 क्रेडिट और चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में 160 क्रेडिट लेने अनिवार्य होंगे। जबकि प्रति सेमेस्टर कम से कम 20 क्रेडिट जरूरी रहेंगे। छात्र को हर साल कम से कम 40 क्रेडिट लेने होंगे। इसमें कॉमन कोर्स के 24 क्रेडिट तो इंट्रोडक्टरी कोर्स के 18 क्रेडिट होंगे।

nai shiksha niti

पहले साल की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल में डिप्लोमा, तीसरे में डिग्री और चौथे में ऑनर्स डिग्री व रिसर्च डिग्री मिलेगी। यदि कोई छात्र पहले वर्ष की पढ़ाई में 40 क्रेडिट और एक साल का वोकेशनल कोर्स में चार क्रेडिट लेता है तो बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद तीन साल के अंदर वो दोबारा उसी डिग्री प्रोग्राम की आगे की पढ़ाई से जुड़ सकेगा, जबकि अधिकतम सात साल के भीतर एंट्री-एग्जिट की सुविधा मिलेगी।

दूसरे वर्ष लेटरल एंट्री का भी विकल्प

नौकरीपेशा या अपना कामकाज कर रहे लोगों को भी डिग्री पूरी करने का अब विकल्प मिलेगा। पारिवारिक या किसी अन्य दिक्कत के चलते जो लोग बीच में पढ़ाई छोड़ चुके थे, उन्हें भी शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। मसलन कोई ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल समेत दूसरे प्रोफेशनल कामों में लगे लोगों को बीटेक या बीई जैसी तकनीकी डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई का मौका मिलेगा। इसके लिए यूजी प्रोग्राम के दूसरे वर्ष में विकल्प रहेगा। हालांकि ऐसे लोगों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक परीक्षा पास करनी होगी।

नैतिक शिक्षा संग सामुदायिक सेवा का भी ज्ञान

नए जमाने के इस पाठ्यक्रम में किताबी ज्ञान, प्रोफेशनल नॉलेज, स्किल के अलावा छात्रों का मेकओवर भी किया जाएगा। इसमें उन्हें खासतौर पर नैतिक शिक्षा, सामुदायिक सेवा, इंटर्नशिप आदि की अनिवार्य पढ़ाई और प्रैक्टिकल व फील्ड वर्क करना होगा। इसका मकसद उन्हें घर, परिवार, समाज, देश के साथ काम के दौरान सहकर्मियों से व्यवहार के भी गुर मिलेंगे।

nai shiksha niti चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर में एक मुख्य व दो छोटे विषय

चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर में एक मुख्य विषय लेना होगा और दो छोटे यानी माइनर सब्जेक्ट का विकल्प मिलेगा। इसमें से माइनर सब्जेक्ट में से एक अनिवार्य वोकेशनल कोर्स होगा। मुख्य विषय 48 क्रेडिट तो माइनर सब्जेक्ट 16-16 क्रेडिट के होंगे।

nai shiksha niti लर्निंग आउटकम में यह बिंदु होंगे खास

चार वर्षीय यूजी प्रोग्राम के छात्रों को अब लर्निंग आउटकम पर भी ध्यान देना होगा। इसी के तहत पूरा फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। छात्र को दिक्कतों का समाधान करने का कौशल, क्रिएटिव थिंकिंग, कम्यूनिकेशन स्किल, लीडरशिप क्वालिटी, विभिन्न देशों, राज्यों के लोगों को जानना, मानवीय मूल्य, सिद्धांत समेत अन्य विषयों को इसमें अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है। परीक्षा में भी छात्र का इन्हीं बिंदुओं पर आकलन किया जाना है।

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  • पहले साल की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा, तीसरे साल की पढ़ाई पूरी करने पर स्नातक डिग्री मिलेगी। इसके बाद चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम भी इसी में जुड़ जाएगा।
  • यदि कोई छात्र ऑनर्स करना चाहता होगा तो उसको चौथे साल की पढ़ाई करनी होगी। ऑनर्स की पढ़ाई का विकल्प सभी छात्रों के सामने खुला रहेगा। हालांकि तीसरे वर्ष की डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई पूरी करने पर उनके पास 75 फीसदी अंक जरूरी होंगे। इससे पहले सात सीजीपीए रखा गया था।
  • पांचवें वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर पीजी डिप्लोमा और छठे वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर उसे स्नातकोत्तर की डिग्री मिल जाएगी। अब इन डिग्री प्रोग्राम का नाम ग्रेजुएट एट्रीव्यूट और ग्रेजुएट प्रोफाइल हो जाएगा।
  • बीए, बीकॉम, बीएससी वाले छात्र दूसरे और तीसरे वर्ष में मल्टीडिस्पलनेरी की पढ़ाई कर सकेंगे। मल्टीडिस्पलनेरी की पढ़ाई के लिए भी परीक्षा आधारित मूल्यांकन से विकल्प मिलेगा।
  • यदि कोई पहले या दूसरे वर्ष किसी कारण से पढ़ाई बीच में छोड़ता है तो उसके लिए गर्मियों में दो महीने का ब्रिज कोर्स चलाया जाएगा। यह 10 क्रेडिट का होगा, इसमें रोजगार से जोड़ने पर काम होगा।
  • बहुविषयक में नेेचुरल और फिजिकल साइंस, मैथमेटिक्स-कंप्यूटर एंप्लीकेशन-स्टेटिक्स, लाइब्रेरी-इंफोरमेशन-मीडिया साइंस, कॉमर्स मैनेजमेंट, ह्यूमनाइटिज-सोशल साइंस के कोर्स ग्रुप बनाए गए हैं।
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  • Higher Education in 2023:
  • nai shiksha niti नए साल में भारतीय शिक्षा जगत में कई बड़े बदलाव धरातल पर दिखेंगे। उम्मीद की जा रही है कि नई शिक्षा नीति में दर्शाए गए मार्ग का अनुसरण करते हुए उच्च शिक्षा व्यवस्था बड़े बदलाव की गवाह बनेगी। आगामी शैक्षणिक सत्र 2023 से स्नातक प्रोग्राम की पढ़ाई का फ्रेमवर्क पूरी तरह से बदलने जा रहा है। देश के सभी विश्वविद्यालयों में चार वर्षीय यूजी प्रोग्राम शुरू हो रहा है। यूजीसी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के तहत स्नातक प्रोग्राम के लिए विषय, पाठ्यक्रम से लेकर क्रेडिट तक का खाका तैयार किया है। इसे करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम का नाम दिया गया है।
  • nai shiksha niti वहीं, छात्रों को कोर एरिया की डिग्री के साथ अपने मनपसंद विषयों को चुनने की आजादी, बीच में पढ़ाई छोड़ने से लेकर विश्वविद्यालय तक को अपनी सहूलियत के हिसाब से बदलने (पोर्टेबल फेसिलिटी) का मौका मिलेगा। दिलचस्प यह है कि छात्र जहां पर बीच में पढ़ाई छोड़ेगा, वहीं से उसे सात साल के भीतर जारी करने का  विकल्प भी मिलेगा। स्कूली शिक्षा के बाद अब उच्च शिक्षा भी लर्निंग आउटकम पर आधारित होगी। हर साल ज्ञान, कौशल और सक्षमता पर आधारित परीक्षा मूल्यांकन होगा। खास बात यह है कि प्रति सेमेस्टर कम से कम 20 क्रेडिट लेने अनिवार्य होंगे।  
  • nai shiksha niti करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर यूजी प्रोग्राम होगा लाॅन्च
  • nai shiksha niti विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) सोमवार को करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम लाॅन्च करने जा रहा है। इसी के साथ विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों व राज्यों से भी साझा किया जाएगा। इसमें रोजगार से जोड़ने के लिए वोकेशनल और इंटर्नशिप को अनिवार्य किया गया है।
  • वर्तमान च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम में किया बदलाव
  • देशभर के विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर और च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू है। नए फ्रेमवर्क में सेमेस्टर में तो कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन सीबीसीएस को इनोवेशन और लचीलेपन के साथ संशोधित किया गया है। एक सेमेस्टर 90 दिन का होगा। नए नियमों के तहत तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में कम से कम 120 क्रेडिट और चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में 160 क्रेडिट लेने अनिवार्य होंगे। जबकि प्रति सेमेस्टर कम से कम 20 क्रेडिट जरूरी रहेंगे। छात्र को हर साल कम से कम 40 क्रेडिट लेने होंगे। इसमें कॉमन कोर्स के 24 क्रेडिट तो इंट्रोडक्टरी कोर्स के 18 क्रेडिट होंगे।
  • पहले साल की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल में डिप्लोमा, तीसरे में डिग्री और चौथे में ऑनर्स डिग्री व रिसर्च डिग्री मिलेगी। यदि कोई छात्र पहले वर्ष की पढ़ाई में 40 क्रेडिट और एक साल का वोकेशनल कोर्स में चार क्रेडिट लेता है तो बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद तीन साल के अंदर वो दोबारा उसी डिग्री प्रोग्राम की आगे की पढ़ाई से जुड़ सकेगा, जबकि अधिकतम सात साल के भीतर एंट्री-एग्जिट की सुविधा मिलेगी
  • nai shiksha niti दूसरे वर्ष लेटरल एंट्री का भी विकल्प
  • nai shiksha niti नौकरीपेशा या अपना कामकाज कर रहे लोगों को भी डिग्री पूरी करने का अब विकल्प मिलेगा। पारिवारिक या किसी अन्य दिक्कत के चलते जो लोग बीच में पढ़ाई छोड़ चुके थे, उन्हें भी शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। मसलन कोई ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल समेत दूसरे प्रोफेशनल कामों में लगे लोगों को बीटेक या बीई जैसी तकनीकी डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई का मौका मिलेगा। इसके लिए यूजी प्रोग्राम के दूसरे वर्ष में विकल्प रहेगा। हालांकि ऐसे लोगों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक परीक्षा पास करनी होगी।
  • nai shiksha niti नैतिक शिक्षा संग सामुदायिक सेवा का भी ज्ञान– नए जमाने के इस पाठ्यक्रम में किताबी ज्ञान, प्रोफेशनल नॉलेज, स्किल के अलावा छात्रों का मेकओवर भी किया जाएगा। इसमें उन्हें खासतौर पर नैतिक शिक्षा, सामुदायिक सेवा, इंटर्नशिप आदि की अनिवार्य पढ़ाई और प्रैक्टिकल व फील्ड वर्क करना होगा। इसका मकसद उन्हें घर, परिवार, समाज, देश के साथ काम के दौरान सहकर्मियों से व्यवहार के भी गुर मिलेंगे।
  • चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर में एक मुख्य व दो छोटे विषय
  • चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर में एक मुख्य विषय लेना होगा और दो छोटे यानी माइनर सब्जेक्ट का विकल्प मिलेगा। इसमें से माइनर सब्जेक्ट में से एक अनिवार्य वोकेशनल कोर्स होगा। मुख्य विषय 48 क्रेडिट तो माइनर सब्जेक्ट 16-16 क्रेडिट के होंगे।
  • nai shiksha niti लर्निंग आउटकम में यह बिंदु होंगे खास

  • चार वर्षीय यूजी प्रोग्राम के छात्रों को अब लर्निंग आउटकम पर भी ध्यान देना होगा। इसी के तहत पूरा फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। छात्र को दिक्कतों का समाधान करने का कौशल, क्रिएटिव थिंकिंग, कम्यूनिकेशन स्किल, लीडरशिप क्वालिटी, विभिन्न देशों, राज्यों के लोगों को जानना, मानवीय मूल्य, सिद्धांत समेत अन्य विषयों को इसमें अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है। परीक्षा में भी छात्र का इन्हीं बिंदुओं पर आकलन किया जाना है।
  • पहले साल की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा, तीसरे साल की पढ़ाई पूरी करने पर स्नातक डिग्री मिलेगी। इसके बाद चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम भी इसी में जुड़ जाएगा।
  • यदि कोई छात्र ऑनर्स करना चाहता होगा तो उसको चौथे साल की पढ़ाई करनी होगी। ऑनर्स की पढ़ाई का विकल्प सभी छात्रों के सामने खुला रहेगा। हालांकि तीसरे वर्ष की डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई पूरी करने पर उनके पास 75 फीसदी अंक जरूरी होंगे। इससे पहले सात सीजीपीए रखा गया था।
  • पांचवें वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर पीजी डिप्लोमा और छठे वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर उसे स्नातकोत्तर की डिग्री मिल जाएगी। अब इन डिग्री प्रोग्राम का नाम ग्रेजुएट एट्रीव्यूट और ग्रेजुएट प्रोफाइल हो जाएगा।
  • बीए, बीकॉम, बीएससी वाले छात्र दूसरे और तीसरे वर्ष में मल्टीडिस्पलनेरी की पढ़ाई कर सकेंगे। मल्टीडिस्पलनेरी की पढ़ाई के लिए भी परीक्षा आधारित मूल्यांकन से विकल्प मिलेगा।
  • यदि कोई पहले या दूसरे वर्ष किसी कारण से पढ़ाई बीच में छोड़ता है तो उसके लिए गर्मियों में दो महीने का ब्रिज कोर्स चलाया जाएगा। यह 10 क्रेडिट का होगा, इसमें रोजगार से जोड़ने पर काम होगा।
  • बहुविषयक में नेेचुरल और फिजिकल साइंस, मैथमेटिक्स-कंप्यूटर एंप्लीकेशन-स्टेटिक्स, लाइब्रेरी-इंफोरमेशन-मीडिया साइंस, कॉमर्स मैनेजमेंट, ह्यूमनाइटिज-सोशल साइंस के कोर्स ग्रुप बनाए गए हैं।
  • 75 फीसदी अंक जरूरी ऑनर्स और रिसर्च के लिए
  • सातवें और आठवें सेमेस्टर में छात्र को ऑनर्स और रिसर्च का विकल्प मिलेगा। जिन छात्रों के तीसरे साल में 75 फीसदी अंक होंगे, वे रिसर्च के लिए जा सकेंगे। इसके अलावा 160 क्रेडिट लेने भी जरूरी होंगे। पहले छह सेमेस्टर के बाद छात्र रिसर्च एरिया में भविष्य बनाने के लिए फैसला ले सकेगा। यह पढ़ाई पूरी करने पर छात्र को ऑनर्स विद रिसर्च की डिग्री मिलेगी। ऑनर्स लेने वाले छात्रों को एक सेमेस्टर छोटी रिसर्च पर काम करना होगा। इसके अलावा एडवांस लेवल पर अपने विषय की पढ़ाई होगी। वहीं, रिसर्च एरिया वाले छात्र को एक सेमेस्टर पूरा एडवांस रिसर्च पर काम करना पड़ेगा।
  • डिग्री में डिवीजन नहीं अब ग्रेड होगा
  • डिग्री में अब डिवीजन नहीं ग्रेड होगा। मसलन 10 से लेकर 4 तक ग्रेड निर्धारित किए गए हैं। इसमें 10 को आउटस्टैंडिंग, 9 को एक्सीलेंट, 8 को वेरी गुड, 7 को गुड, 6 -5 को एवरेज और 4 पास की श्रेणी में होगा। इसके नीचे के सभी फेल श्रेणी होगी। कोर एरिया या मेजर कोर्स में तीन वर्षीय में 60 क्रेडिट तो चार वर्ष में 80 क्रेडिट, माइनर स्ट्रीम में तीन वर्ष में 24 और 32 क्रेडिट, बहुविषयक में तीन और चार वर्षीय में 9-9 क्रेडिट, समर इंटर्नशिप में तीन व चार वर्षीय में 2 से चार-चार क्रेडिट की जरूरत होगी।

nai shiksha niti kab lagu hogi

नई शिक्षा नीति 2023 में लागू होगी और उसी समय स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव होगा। उसी समय शिक्षा नीति के अनुसार नया कोर्स लागू किया जाएगा।

विशेषज्ञों का मानना है अगर अभी कोर्स में बदलाव कर दिया तो एक साल बाद ही नई शिक्षा नीति के हिसाब से फिर पाठ्यक्रम में परिवर्तन करना होगा। शिक्षा विभाग के इस फैसले के बाद स्कूली छात्र इस सत्र में जो किताबें पढ़ रहे हैं, अगले सत्र में भी उन्हीं से पढ़ाई कराई जाएगी। सीजी बोर्ड से संबद्ध स्कूलों की किताबें राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद यानी एससीईआरटी तैयार की जाती है।

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